Social Anxiety in Hindi: डरे नहीं, सामना करे:-
कई दिनों बाद लॉकडाउन खुलने से अमेरिका, ब्रिटेन, इटली और भारत जैसे देशों के लोगों मैं चिंता, सामाजिक डर या सोशल एंजाइटी (Social anxiety) आदि मानसिक रोग देखने को मिल रहे हैं।
संयुक्त राज्य अमेरिका के एंजायटी एसोसिएशन की तरफ से एक सर्वे किया गया,जिसके अनुसार युवाओं की अधिकांश आबादी (लगभग 40 मिलीयन) में इस प्रकार की मानसिक बीमारी देखने को मिली।
लोक डाउन मैं अलग-थलग रहने के बाद अचानक लोग अपनी सामाजिक दिनचर्या में पुनः लौट रहे हैं जिससे उनमें इस प्रकार की चिंताएं बढ़ रही है।
इस सोशियल एंजायटी (Social anxiety) को दूर करने के लिए दो कार्य किये जा सकते हैं-
पहला सोशल लाइफ को धीरे-धीरे गति प्रदान करें तथा दूसरा स्वयं की देखभाल अनुशासित ढंग
से करें , क्योंकि कई दिनों तक हमारा सामाजिक कैलेंडर खाली पड़ा था और इसे वापस भरकर
सोशियल एंजायटी (Social anxiety) को कम करने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन ये इतना आसान
नहीं है और चिंता का कारण भी है।
अमेरिका की फार्मेसी कंपनी के सलाहकार के अनुसार अत्यधिक सामाजिक कार्य एवं व्यक्तिगत
कार्य को करते हुए अचानक कुछ भी नहीं करने की परिस्थिति पैदा होने से व्यक्ति के मानसिक
स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ा है। इसके अलावा वे लोग जोघुल-मिल कर रहते थे, वे अब एकांत में
रहकर जीवन व्यतीत कर रहे हैं तथा दूसरों में मिश्रित नहीं होना चाहते हैं ।
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लोगों में भावनात्मक अलगाव पैदा होने से भी इस प्रकार की सोशल एंजायटी की समस्या में
बढ़ोतरी हो रही है।जो व्यक्ति अधिक सोशियल लाइफ जीते हैं, उन्हें लॉकडाउन ने अचानक
अपने सोशियल जीवन को छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया है, जिससे अब वे लोग इस चिंता को
दूसरों से शेयर नहीं कर पा रहे हैं। क्योंकि इन लोगों की इस प्रकार की चिंताएं सोशियल गैदरिंग
से कम हो जाती थी और अब वे अज्ञात में कूद गए हैं जिससे चिंता का सेट बन गया है।
लोक डाउन के बाद जब धीरे-धीरे व्यवस्थाओं में छूट बढ़ती जा रही है, सामाजिक सामूहिककरण
भी अधिक तेज गति से हो रहा है।
Social anxiety (सोशल एंजायटी) को कैसे दूर कर सकते हैं,इसके कुछ बिंदु निम्नलिखित है –
1. सामाजिक गति को कम करके-
विशेषज्ञों का मानना है जिन लोगों में सोशियल एंजायटी(Social anxiety in Hindi) है उन्हें अपने इस सोशल ट्रेंड को
धीरे-धीरे अपनाना चाहिए।इससे उनकी असहजता को कम करने में मदद मिलेगी।
लोगों के एक समूह से मिलने की बजाय, केवल खास मित्रों एवं रिश्तेदारों से मिलना चाहिए।
जिससे बातचीत और क्रिएटिविटी माध्यम से इस चिंता में सुधार हो सके।
जिन लोगों को आप पसंद करते हैं या जिन लोगों को आप पर भरोसा है तथा वह जो आपके
प्रति ईमानदार है, उनके साथ उठना बैठना, बातें करना, काफी हद तक मस्तिष्क को आराम
और खुशी दिलाता है।
धीरे-धीरे लोगों से अपने मिलने का विस्तार करें। इस दौरान नर्वस भी होंगे, लेकिन अपने
आपको वार्मिंग करते रहे। जिन लोगों एवं जिन परिस्थितियों से इस प्रकार की चिंता होती है,
उन्हें अपने जीवन में शामिल कीजिए। जिससे इसके स्तर में धीरे धीरे कमी आएगी।
यदि आप लोगों से घूमते मिलते नहीं है, उन्हें प्रत्यक्ष नहीं देख सकते,तो उनसे फोन पर या
वीडियो चैट के माध्यम से बात कर सकते हैं और यह बातचीत प्रतिदिन अलग-अलग व्यक्तियों
से होनी चाहिए।
अपनी इस आदत को और बढ़ाएं, एक सामाजिक समूह बनाएं, उनसे बातचीत करें तथा ऐसा
करने में यदि आप कंफर्ट हो जाए तो उनके साथ मॉर्निंग वॉक, इवनिंग वॉक पर भी जा सकते
हैं।
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2. मस्तिष्क में परिस्थितियों की काल्पनिक रचना करें-
अगर आप किसी से मिलने जा रहे हैं, या पार्टी में, किसी ऑकेजन में,तो इसके लिए एक
प्लान तैयार कर ले। इस प्लान में आपको क्या बातचीत करनी है,किससे मिलना है, आदि बिंदुओं
को इसमें शामिल कर ले।
विशेषज्ञों के अनुसार यदि आपके मन में किसी नकारात्मक सोच से एंग्जाइटी पैदा हो रही है
तो आप इस नकारात्मक सोच से वितरित सोचे। उदाहरण- यदि आप लोगों के समूह में बैठे हैं तो
यह सोचिए कि यह लोग मुझे पसंद नहीं करेंगे, मेरा मजाक उड़ाएंगे, फिर भी मैं इन
परिस्थितियों का सामना करूंगा और ऐसा करने से हम अपनी एंग्जाइटी को कम कर सकते हैं।
3. स्वयं को डर का सामना करने दे-
बाहर निकलने के बाद,लोगों से मिलते समय आप क्या प्रतिक्रिया देंगे, इससे डरते हुए लोगों से
अपने सुझाव और संदेह को साझा करते रहे और इस प्रकार की सभी प्रतिक्रियाओं एवं
चिंताओं को स्वीकार करते हुए इस एंग्जाइटी पर काबू पाए।
कभी-कभी घबराहट या सामाजिक प्रतिक्रियाओं से डर लगे तो इसे अपने मन में न रखते हुए
अपने करीबी मित्रों से साझा करें इससे आप चिंता का विकल्प खोज सकेंगे।
4. स्वयं की देखभाल की आदत डालें-
अपने शारीरिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना, प्राणायाम, योगा, थेरेपी आदि को अपनी
दिनचर्या में शामिल करके, दोस्तों और परिवार के लोगों से अपनी चिंताओं के बारे में बात करके,
इस सोशल एंजायटी(Social anxiety Hindi) को मैनेज किया जा सकता है।
जब हम अपने मानसिक स्तर को रोज बूस्ट करते रहते हैं तो जीवन में आई हुई अप्रत्यक्ष
परिस्थितियों का डटकर सामना कर सकते हैं और हमेशा उत्तेजना को पीछे छोड़कर धरातल की
तरफ ही झुके रहेंगे।
आप सब कुछ नहीं कर सकते या आप सब कुछ नहीं बदल सकते लेकिन शारीरिक और
मानसिक रूप से सुदृढ़ बनकर कठिन परिस्थितियों को संभाल सकते हैं जिससे जीवन के मार्ग में
आने वाली सभी चीजों का चुनाव आत्मविश्वास से कर सकेंगे।