शाम्भवी मुद्रा करने का तरीका और फायदे (Shambhavi Mudra Steps and Benefits in Hindi)

शाम्भवी मुद्रा करने का तरीका और फायदे (Shambhavi Mudra Steps and Benefits in Hindi) : योग दुनिया के सबसे बड़े उपहारों में से एक है। यह सबसे पुरानी ध्यान प्रथाओं में से एक है और दुनिया भर के लोगों द्वारा अपनाई गई व्यायाम का एक रूप है। इसमें कई प्रकार के आसन, मुद्राएँ और व्यायाम के विभिन्न प्रकार शामिल हैं।

योग न केवल एक व्यायाम के रूप में बल्कि कई अन्य बीमारियों को भी ठीक करने में सहायक है। यह तनाव, अवसाद, चिंता और कई अन्य मानसिक बीमारियों जैसे कई अन्य मुद्दों से निपटने में भी मदद करता है। ऐसा माना जाता है कि योग में 50 से अधिक मुद्राएँ होती हैं।

इन सभी मुद्राओं का अपना उद्देश्य है, इन्हीं सभी मुद्राओं में से एक है शाम्भवी मुद्रा। शाम्भवी मुद्रा को महामुद्रा भी कहा जाता है इसका अभ्यास योगियों के लिये बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। तो आइए इस मुद्रा के बारे में कुछ महत्वपूर्ण और उपयोगी जानकारी पर नज़र डालते हैं:

विषय सूची:

शाम्भवी मुद्रा क्या हैं? (What is Shambhavi Mudra in Hindi?):

मुद्रा का अर्थ है एक विशेष प्रकार की स्थिति। हम योग और ध्यान में कई प्रकार के आसन करते हैं, जिसे हम योगमुद्रा भी कहते हैं। शाम्भवी मुद्रा को ‘आइब्रो सेंटर गेज़िंग टेक्नीक’ के रूप में भी जाना जाता है। यह ध्यान का एक रूप है जिसमें ‘अजना चक्र’ या तीसरी आंख की शक्ति की खोज शामिल है।

ऐसा कहा और माना जाता है कि इस मुद्रा में महारत हासिल करने से हमारा ध्यान भगवान शिव के ध्यान के बराबर हो जाता है। ध्यान का यह अभ्यास व्यक्ति को एकाग्रता प्राप्त करने और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद करता है।

इसका अभ्यास बहुत कठिन है। इस आसन की खास बात यह है कि इसमें आपकी आंखें खुली रहती हैं, लेकिन आप कुछ भी नहीं देख सकते हैं। घेरंड संहिता के अनुसार शंभवी मुद्रा द्वारा एक योगी अपने अंदर देखता है।

यदि आप शरीर को अपनी भावनाओं और क्रोध पर से नियंत्रित करना चाहते हैं या मन को अपने नियंत्रण में रखना चाहते हैं, तो यह योगमुद्रा और ध्यान तकनीक आपके लिए निश्चित रूप से उपयुक्त है। आपको इसका अभ्यास अवश्य करना चाहिए।

इस मुद्रा का विस्तृत वर्णन भगवद गीता, पतंजलि योग सूत्र, अमानसक योग, घेरंड संहिता, शिव संहिता, गोरक्षा संहिता, हठ योग प्रदीपिका, योग चिंतामणि और योग के कई ग्रंथों में आता है। सद्गुरु जग्गी वासुदेव के अनुसार, शाम्भवी मुद्रा योग में एक महामुद्रा है।

वैज्ञानिकों ने सर्वसम्मति से चिकित्सा अनुसंधान के माध्यम से निष्कर्ष निकाला है कि शंभवी मुद्रा एकाग्रता, भावनात्मक संतुलन, शरीर में ऊर्जा का स्तर, मानसिक शांति और आध्यात्मिक उपलब्धियों के साथ-साथ एलर्जी, अस्थमा, हृदय रोग, मधुमेह, अनिद्रा, अवसाद, आदि में चमत्कारी लाभ देखे गए हैं।

शाम्भवी मुद्रा करने के फायदे [Benefits of Shambhavi Mudra in Hindi]

योग को शारीरिक गतिविधि के सबसे फायदेमंद रूपों में से एक माना जाता है। इसमें हमारे शरीर के आंतरिक और बाहरी तंत्र शामिल होते हैं। अगर सही तरीके से अभ्यास किया जाए तो यह हमारे शरीर की आंतरिक शक्ति को बनाए रखने में मदद करते हैं।

यह खुद से जुड़ने और हमारी आंतरिक शक्ति और आत्मविश्वास को खोजने में मदद करता है। आइए इसके कुछ फायदों को जानते हैं:

शाम्भवी मुद्रा करने का तरीका और फायदे (Shambhavi Mudra Steps and Benefits in Hindi)
शाम्भवी मुद्रा करने का तरीका और फायदे (Shambhavi Mudra Steps and Benefits in Hindi)

1. शरीर को बेहतर बनाने और एकाग्रता बढ़ाने के लिये (Shambhavi Mudra Helps To improve the body and increase concentration in Hindi):

शाम्भवी मुद्रा योग का एक रूप है जिसका मुख्य उद्देश्य एकाग्रता शक्ति में सुधार करना और मस्तिष्क की नसों को आराम करने के लिए मानव की सहायता करना है। इसमें केंद्र में भौहों पर टकटकी लगाना और हमारे भीतर संग्रहीत ऊर्जा की खोज करना शामिल है।

यह एकाग्रता में सुधार करने में मदद करता है और किसी कार्य को कुशलता से करने की अनुमति देता है। हमारी दिनचर्या को स्वस्थ और फलदायक बनाए रखने के लिए गहन ध्यान आवश्यक है। इसलिए कुछ मिनटों के लिए प्रतिदिन इस मुद्रा का अभ्यास करना चाहिए।

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2. पारस्परिक संचार कौशल में सुधार करती हैं (Shambhavi Mudra Improve interpersonal communication skills in Hindi):

जैसा कि शांभवी मुद्रा के ऊपर उल्लेख किया गया है, मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करता है इसलिए यह पारस्परिक संचार कौशल में सुधार करने में भी मदद करता है। एक अंतर्मुखी व्यक्ति लोगों के साथ संवाद करने में सक्षम नहीं हो सकता है क्योंकि भीड़ में व्यक्तिगत कदम।

इसलिए आंतरिक शक्ति को महसूस करना और दृढ़ रहना आवश्यक है और लोगों का सामना करने के लिए एक आश्वस्त व्यक्तित्व होना चाहिए। इस मुद्रा का अभ्यास एक व्यक्ति को स्वयं के साथ गहराई से जुड़ने के लिए मददगार होता है, जिसमें मन की सतर्क स्थिति होती है।

इसलिए यह मुद्रा संचार कौशल को बेहतर बनाने और साथ ही किसी के व्यक्तित्व को बेहतर बनाने के लिए एक उपयोगी तरीका है।

3. शरीर को डिटॉक्सीफाई करने की प्रक्रिया है (Shambhavi Mudra Helps To Detoxifying The Body in Hindi):

हमारे शरीर में विषाक्त पदार्थों का संचय हमारे बीमार होने के कारणों में से एक है। इसलिए जरूरी है कि किसी के शरीर को डिटॉक्सीफाई करके उसे आंतरिक रूप से साफ किया जाए। कुछ लोग इस प्रक्रिया को करने के लिए प्राकृतिक तरीके पसंद करते हैं।

इसलिए योग पहला तरीका है जो किसी भी हानिकारक घटकों या अवयवों के बिना स्वाभाविक रूप से शरीर को डिटॉक्सीफाई करने की अनुमति देता है।

शाम्भवी मुद्रा (Shambhavi Mudra) का अभ्यास करते समय हमारी आँखों से पानी को नष्ट करने के रूप में किया जाता है। इसमें हमारा ध्यान हमारी भौं के केंद्र की ओर लगाना शामिल है, इसलिए इसका अभ्यास करने से व्यक्ति की आंखों से पानी निकलने लगता है।

यह विषाक्त पानी है जिसे आंखों के रास्ते से हटा दिया जाता है। इसलिए यह सिर्फ योग मुद्रा नहीं है, बल्कि डिटॉक्सिफिकेशन प्रक्रियाओं में से एक है।

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4. भावनात्मक स्थिरता को बनाए रखने में मदद करता है (Shambhavi Mudra Helps maintain emotional stability in Hindi):

इस मुद्रा का अभ्यास करने के विभिन्न लाभ हैं लेकिन सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह भावनात्मक स्थिरता को बनाए रखने और आंतरिक शांति और खुशी पाने में मदद करता है। यह मस्तिष्क की नसों को आराम करने और मन को सचेत स्थिति में रखने में मदद करता है।

जब मस्तिष्क की नसें शिथिल होती हैं तो यह नकारात्मकता को दिमाग से दूर रखने में मदद करता है और जोवियल मूड बनाए रखता है। इसलिए यह सकारात्मक वाइब्स को बनाए रखने और एक मजबूत भावनात्मक स्तर को बनाए रखने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है।

5. पाचन तंत्र को बनाए बेहतर (Shambhavi Mudra Helps To Maintain digestive system in Hindi):

शाम्भवी महामुद्रा में व्यक्ति एक सीधी स्थिति में बैढ़ता है, इसलिए यह खाद्य पदार्थ के प्रवाह को सीधे पाचन तंत्र में प्रवाहित करने की अनुमति देता है। मुद्रा न केवल एकाग्रता शक्ति को बेहतर बनाने में मदद करती है बल्कि पाचन तंत्र को बेहतर बनाने के लिए भी आवश्यक है।

गहरी साँस लेना, एक केंद्रित बिंदु पर ध्यान केंद्रित करना और मुद्रा का अभ्यास करते हुए एक पवित्र जप को पुनर्जन्म करना, ये सभी पाचन तंत्र की सहायता करते हैं। इसलिए पाचन समस्याओं से पीड़ित लोगों को आंतरिक शक्ति और स्वास्थ्य में सुधार के लिए इस मुद्रा को अपनी जीवन शैली में लागू करना चाहिए।

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शाम्भवी मुद्रा करने का सही तरीका [Right Technique To Do Shambhavi Mudra in Hindi]:

किसी भी मुद्रा को करने के लिए आपको एक अच्छी जगह चुन नी चाहिए जहाँ आप योग का अभ्यास करने में बिल्कुल सहज महसूस करते हो, खुद को सहज महसूस करवाना योग मुद्रा का प्रारंभिक चरण है आइये जानते है शाम्भवी मुद्रा कैसे करे (How To Do Shambhavi Mudra in Hindi):-

शाम्भवी मुद्रा करने का तरीका और फायदे (Shambhavi Mudra Steps and Benefits in Hindi)
शाम्भवी मुद्रा करने का तरीका और फायदे (Shambhavi Mudra Steps and Benefits in Hindi)

शाम्भवी मुद्रा कैसे करें (Steps To Do Shambhavi Mudra in Hindi):

यहाँ निचे हमने Shambhavi Mudra करने की 4 विधि बताई है, आप अपने सुविधानुसार किसी भी एक विधि का अभ्यास कर सकते है, तो आइये जानते है शाम्भवी मुद्रा कैसे करें:-

1. पहली विधि: सबसे पहले अपनी योग चटाई बिछा कर उस पर सुखासन की मुद्रा में बैठ जाएँ। फिर दोनों हाथों की तर्जनी अंगुली को अपने अंगूठे से दबाएं। अब हाथों की शेष तीन अंगुलियों को सीधा रखें और फिर हाथों के पंजों को घुटनों पर टिकाएं। इसका अर्थ यह है की आपको ज्ञान मुद्रा बनाना है। अब रीढ़ को सीधा करें और आंखों को धीरे-धीरे बंद करें, भौंहों (आइब्रो) को देखते हुए सिर को थोड़ा ऊपर उठाएं। अब आपका ध्यान भौंहों (आइब्रो) और सांस लेने पर होना चाहिए।

2. दूसरी विधि: यदि आपने पहले कभी त्राटक किर्या की है या आप त्राटक किर्या के बारे में जानते हैं, तो आप इस मुद्रा को बड़ी ही आसानी से कर सकते हैं। सबसे पहले आपको, सिद्धासन मुद्रा में बैठना है और रीढ़-गर्दन को सीधा रखन है और पलकें बिना झपकाए अपनी पलक को देखते रहें, परन्तु किसी भी चीज़ को देखने पर ध्यान केंद्रित न करें। रोज 5 मिनट तक इसका अभ्यास करें।

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3. तीसरी विधि: सबसे पहले सुखासन में बैठें और सबसे पहले ध्यान मुद्रा बनाएं। फिर जब शाम्भवी मुद्रा (Shambhavi Mudra) योग किया जाता है, तो दोनों आंखें मस्तिष्क में चढ़ जाती हैं। इसी दोरान आपको पहले अंधेरा प्रकट होगा और फिर धीरे-धीरे दिव्य प्रकाश का दर्शन भी होने लगेगा।

अपने दोनों ऑयबल्स को ऊपर की ओर ले जाएं, मतलब अपनी भौहों पर ध्यान केंद्रित करें। पहले तो इससे आँखें दुखेंगी लेकिन अभ्यास के साथ यह सामान्य हो जाएगा। जब आप ऐसा करने में सक्षम होंगे, तो आपको एक वक्र रेखा दिखाई देगी जो मध्य में दिखाई देती है।

इस मामले में, जब तक आप कर सकते हैं तब तक अपनी आँखें रखें। इस शाम्भवी मुद्रा के अभ्यास के दौरान आपकी सांस को सामान्य रखे। कुछ तपस्वी इस मुद्रा को इस विधि के अनुसार करते हैं।

4. चौथी विधि: सबसे पहले अपनी योग चटाई पर सुखासन मुद्रा में बैठ जाएँ, अपनी पीठ को सीधा रखें, अपने कंधों और हाथों को ढीला रखें और अपने हाथों को ज्ञान की मुद्रा में रखें। अपनी दोनों आंखों को दोनों चक्रों के बीच (भृकुटि) आज्ञाचक्र पर रखें। इस दौरान आपकी दोनों आँखें आधी खुली और आधी बंद होंगी। श्वास पर ध्यान रखे और उसे सामान्य ही रखे। 4-5 मिनट तक अभ्यास के बाद वापस सामान्य मुद्रा में आ जाएँ।

शाम्भवी मुद्रा का अभ्यास करने का समय और अवधि

शांभवी मुद्रा का अभ्यास दिन में दो बार किया जा सकता है। पहला अभ्यास सुबह खाली पेट और दूसरा शाम को, शांभवी मुद्रा के अभ्यास और भोजन के बीच कम से कम 4 घंटे का अंतर बनाए रखना सुनिश्चित करें।

शुरुआत में 5 से 6 मिनट तक शांभवी मुद्रा का अभ्यास किया जा सकता है। फिर, एक बार जब आप बिना किसी परेशानी के अपनी आंखों को अपनी भौहों के केंद्र पर रखने के आदी हो जाते हैं, तो आप धीरे-धीरे अभ्यास की अवधि को और बढ़ा सकते हैं।

शाम्भवी मुद्रा करने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव

शांभवी मुद्रा का अभ्यास करने से पहले एक बिंदु पर टकटकी लगाकर एक निश्चित डिग्री नियंत्रण और सहनशक्ति प्राप्त करने के लिए अगोचरी मुद्रा में कुछ दक्षता हासिल करने की सलाह दी जाती है।

  • एक उंगली नाक की नोक पर रखें
  • दोनों आंखों को उंगलियों पर केंद्रित करें
  • आंखों को उंगलियों से चिपकाए रखते हुए, धीरे-धीरे उंगली को ऊपर की ओर तब तक ले जाएं जब तक कि आंख भौंह की हड्डी के केंद्र पर ध्यान केंद्रित करने के लिए पर्याप्त न हो जाए और उंगली की नोक भौंह की हड्डी के ऊपर से बाहर न हो जाए।

यदि यह प्रारंभिक व्यायाम यहां वर्णित तरीके से नियमित रूप से किया जाता है, तो कुछ अभ्यास के बाद आंखें स्वचालित रूप से भौं केंद्र पर ध्यान केंद्रित करने के लिए ऊपर की ओर खींची जाएंगी।

साथ ही इस क्रिया में महारत हासिल करने के लिए, पहले त्राटक का अभ्यास करें, जिसमें किसी वस्तु पर नजर रखने की आवश्यकता होती है, और फिर व्यक्ति धीरे-धीरे भौंहों के बीच आंखों को केंद्रित करने के लिए आगे बढ़ सकता है।

सद्गुरु जग्गी वासुदेव जी द्वारा बताई गयी शाम्भवी मुद्रा करने का तरीका [Right Technique To Do Shambhavi Mudra in Hindi]:

शाम्भवी मुद्रा करते समय क्या सावधानियां और एहतियात बरते (What Are The Precautions To Be Taken While Shambhavi Mudra in Hindi):

  1. आँखों से ऑयब्रो के केन्द्र को देखने के लिए उन्हें जबरन तनाव न दे। इससे आँखों की मांसपेशियों में दर्द होने लगेगा और सिरदर्द होने लग जायेगा।
  2. इसके अभ्यास के दौरान अपनी सांसो को सामान्य रखे और अपने ध्यान में बहते रहे।
  3. आप इस अभ्यास में पूर्णता हासिल कर चुके है तो आप इसमें गहरी सांसे लेने का अभ्यास कर सकते है।
  4. इस अभ्यास के दौरान अगर आपकी आँखे दुखने लगे तो कुछ देर के लिए इसके अभ्यास को करना छोड़ दे और आराम करे।

आशा है इन सभी गुणों को जान ने के बाद आपको कभी यह नहीं बोलना पड़ेगा की शाम्भवी मुद्रा करने का तरीका और फायदे (Shambhavi Mudra Steps and Benefits in Hindi) क्या होते है।

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