शलभासन करने का तरीका, फायदे और सावधानियां – Salabhasana (Locust Pose) Steps, Benefits And Precautions in Hindi : योग से शरीर और मन का विकास होता है। इसके कई शारीरिक और मानसिक लाभ भी होते हैं। छोटे बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक, कोई भी योगासन कर सकता है। आप जब तक नियमित योग करते रहेंगे, तब तक आपको इसके लाभ मिलते रहेंगे।
इसके साथ ही यह दवाओं के लिए एक बेहतर विकल्प भी है परन्तु अगर आप अपनी दवाओ पर है, तो अपने डॉक्टर के निर्देशानुसार अपनी खुराक लेते रहे। आप योग के अभ्यास से खुद को स्वस्थ और तंदरुस्त रख सकते हैं। इस तरह से, शलभासन (टिड्डी मुद्रा) भी बहुत फायदेमंद योग आसन है।
इस योग आसन के माध्यम से हम जानेंगे जानेगें की शलभासन क्या है, शलभासन कैसे करते है और शलभासन के स्वास्थ्य लाभ एवं शलभासन के फायदे क्या होते है और शलभासन करने का सही तरीका क्या होता है, तो चलिए शुरू करते है।
- शलभासन क्या है? [What is Salabhasana (Locust Pose) in Hindi]:
- शलभासन करने का तरीका [Right Technique To Do Salabhasana (Locust Pose) in Hindi]:
- शलभासन के फायदे और लाभ [Benefits of Salabhasana (Locust Pose) in Hindi]:
- बाबा रामदेव द्वारा बताया गया शलभासन करने का सही तरीका और विधि [Baba Ramdev Step By Step Instructions For Salabhasana (Locust Pose) in Hindi]:
- शलभासन के पीछे का विज्ञान [Science Behind Salabhasana (Locust Pose) in Hindi]:
- शलभासन का अभ्यास करने से पहले क्या सावधानिया व एहतियात बरते [What Are The Precautions To Be Taken While Salabhasana (Locust Pose) in Hindi]:
शलभासन क्या है? [What is Salabhasana (Locust Pose) in Hindi]:
लोकस्ट पोज (Salabhasana) को संस्कृत भाषा में शलभासन के नाम से जाना जाता है, जो दो शब्दों से बना है, जिसमें पहला शब्द “शलभ” का अर्थ है “टिड्डी” और दूसरे शब्द आसन का अर्थ है “मुद्रा”।
इस आसन को अंग्रेजी में “लोकस्ट पोज” कहा जाता है। शलभासन रीढ़ की हड्डी, पीठ के निचले हिस्से के दर्द और थकान को दूर करने में मदद कर सकती है। यह पीठ के धड़, हाथ और पैरों को मजबूत बनाता है।
इस पोज को देखना आसान हो सकता है, लेकिन आपको इसे करने में कुछ दिक्कत हो सकती है।
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शलभासन करने का तरीका [Right Technique To Do Salabhasana (Locust Pose) in Hindi]:
- शलभासन करने के लिए एक योग चटाई बिछाकर अपने पेट पर लेट जाये। इसमें आपकी पीठ ऊपर की ओर और आपका पेट नीचे होना चाहिए।
- अपने दोनों पैरों को सीधा रखें और अपने पंजों को सीधा और ऊपर की ओर रखें।
- अपने दाहिने हाथ को दाहिनी जांघ के नीचे और बाएं हाथ को बायीं जांघ के नीचे दबाएं।
- अपना सिर और मुंह एक जगह स्थिर रखें।
- इसके बाद खुद को सामान्य रखें और गहरी सांस अंदर की ओर ले जाएं।
- अब अपने पैरों को धीरे-धीरे ऊपर उठाने की कोशिश करें, पैरों को अपनी अधिकतम ऊंचाई तक उठाएं जितना आप कर सकते हैं।
- अगर आप योगाभ्यास के लिए नए हैं तो आप अपने हाथों का इस्तेमाल पैर ऊंचा करने के लिए कर सकते हैं, इसके लिए आप अपने दोनों हाथों से जमीन पर अपने पैर उठा सकते हैं।
- आप इस आसन में कम से कम 20 सेकंड तक टिके रहने की कोशिश करें।
- इसके बाद, अपनी सांस को बाहर रखते हुए धीरे-धीरे अपने पैरों को निचे की ओर करें।
- फिर अपनी प्रारंभिक स्थिति में लौटें। इस मुद्रा को दोहराने से पहले 20 सेकंड का आराम करें।
- इस अभ्यास को 3-4 बार दोहराए।
शलभासन के फायदे और लाभ [Benefits of Salabhasana (Locust Pose) in Hindi]:
- शलभासन योग (Locust Pose) तंत्रिका तंत्र को मजबूत करता है और इसकी गतिविधि को बढ़ाता देने में मदद करता है।
- इस योग द्वारा विभिन्न प्रकार के रोगों को ठीक किया जा सकता है, यह हमारे पेट की पाचन क्रिया को ठीक करता है, जिससे पेट की बीमारियाँ नहीं होती हैं।
- यह प्रजनन प्रणाली और महिलाओं के गर्भाशय की क्षमता को भी मजबूत करता है। मासिक धर्म चक्र के साथ-साथ सामान्य चक्र की ओर जाता है।
- यह योग शरीर के लचीलेपन को बढ़ाता है, इसके साथ यह पेट की चर्बी को भी कम करता है और इसे सुंदर बनाता है। यह पेट की चर्बी के लिए सबसे अच्छा योग है।
- शलभासन (Salabhasana) शरीर की मांसपेशियों के साथ-साथ शरीर की मुद्रा को मजबूत बनाने के लिए एक अच्छा आसन है।
- यह शरीर में वसा को खत्म करने में मदद करता है, साथ ही यह चयापचय को भी ठीक करता है।
- यह कब्ज से छुटकारा पाने के लिए मूत्र संबंधी विकारों और अधिक लाभकारी में सुधार करने में मदद करता है।
- यह आसन कटिस्नायुशूल (सायटिका) को ठीक करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- यह मधुमेह के रोगियों के लिए अच्छा योग है, जो मधुमेह को नियंत्रित करता है।
- यह योग पूरे पीठ के लचीलेपन को बढ़ावा देता है और ताकत को बढ़ाता है।
- इसके अभ्यास से कंधे और भुजाए भी मजबूत बनाती है।
- यह योग विशेष रूप से गर्दन और कंधों में नसों और मांसपेशियों को टोन करता है।
- यह योग आसन तनाव और डिप्रेशन को भी कम करने में मदद करता है।
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बाबा रामदेव द्वारा बताया गया शलभासन करने का सही तरीका और विधि [Baba Ramdev Step By Step Instructions For Salabhasana (Locust Pose) in Hindi]:
शलभासन के पीछे का विज्ञान [Science Behind Salabhasana (Locust Pose) in Hindi]:
जब आप इस आसन का अभ्यास करते हैं, तो बस मुद्रा में उठना और वहां रहना तीव्र होता है। यह आपको सिखाता है कि कैसे काम करने के लिए ध्यान केंद्रित करें और अपना दिमाग लगाएं। आप शांत रहें, और योग में लिन रहे।
यह आसन एक ब्लूप्रिंट बैकबेंड के रूप में भी काम करता है, जो आपको धनुरासन, उर्ध्वा मुख संवासन, और चक्रासन जैसे अन्य बैकबेंड के लिए सही संरेखण को समझने की अनुमति देता है।
यह मुद्रा (Locust Pose) आपके पेट और पीठ को मजबूत करती है। इससे आपकी छाती भी खुल जाती है। आपका शरीर खुद के बारे में अधिक जागरूक हो जाता है, और जैसा कि आप इस आसन का अभ्यास करते हैं, आप यह समझने लगते हैं कि संतुलित बैकबेंड के लिए क्या आवश्यक है।
आमतौर पर, बैकबेंड शरीर को गुरुत्वाकर्षण के खिलाफ धकेलने के लिए अंगों का उपयोग करता है। लेकिन शलभासन (Salabhasana) में, हाथ और पैर निलंबित हो जाते हैं, और इसलिए, आपके शरीर को उठाने के लिए आपकी पीठ और पेट को अधिक मेहनत करनी पड़ती है। जिससे यह आपकी कमर के दर्द को छु मंतर करने में मदद करता है और साथ ही साथ अनेको लाभ प्रदान करता है।
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शलभासन का अभ्यास करने से पहले क्या सावधानिया व एहतियात बरते [What Are The Precautions To Be Taken While Salabhasana (Locust Pose) in Hindi]:
जानकारों के अनुसार, यह आसन सबसे अच्छा तब माना जाता है जब अभ्यासकर्ता इसका अभ्यास सुबह-सुबह करते हैं। भोजन को पचाने के साथ-साथ यह शरीर को आसन करने की ऊर्जा भी प्रदान करता है। किसी कारण के कारण, अगर आप इसका अभ्यास सुबह नहीं कर पाते है तो, आप इस आसन का अभ्यास शाम को भी कर सकते हैं। लेकिन अपने अभ्यास और भोजन के बीच कम से कम 3-5 घंटे का अंतर जरुर रखें।
- सुबह शौच के बाद ही शलभासन करना चाहिए।
- इस आसन को करते समय हमें मुंह से सांस नहीं लेनी चाहिए, केवल नाक से सांस लेनी चाहिए।
- अगर आपकी पेट की सर्जरी हुई है तो इस मामले में इस आसन को करने से बचें।
- इसके अलावा प्रेग्नेंसी के टाइम में भी इस आसन को करने से बचें।
- यदि आप अपने शरीर में आराम महसूस नहीं करते हैं तो व्यायाम को ज़्यादा न करें।
- निम्न और उच्च रक्तचाप के मामले में इस योग का अभ्यास न करें।
- घुटने, कूल्हे, या रीढ़ की हड्डी के मुद्दों से पीड़ित होने पर भी इस आसन से बचें।
- आपको हमेशा चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए और आसन और प्राणायाम शुरू करने से पहले एक उचित रूप से प्रशिक्षित शिक्षक की देखरेख में योग करना चाहिए।
आशा है इन सभी गुणों को जान ने के बाद आपको कभी यह नहीं बोलना पड़ेगा की शलभासन करने का तरीका और फायदे (Locust Pose / Salabhasana Yoga Steps And Benefits in Hindi) क्या होते है।
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उम्मीद है आपको हमारा यह लेख शलभासन करने का तरीका और फायदे (Locust Pose / Salabhasana Yoga Steps And Benefits in Hindi) पसंद आया होगा ,अगर आपको भी शलभासन करने का तरीका और फायदे (Locust Pose / Salabhasana Yoga Steps And Benefits in Hindi) के बारे में पता है तो आप हमे कमेंट बॉक्स में लिख कर जरूर बताये।
और अगर आपके घर परिवार में भी कोई शलभासन करने का तरीका और फायदे (Locust Pose / Salabhasana Yoga Steps And Benefits in Hindi) के बारे में जानना चाहते है तो आप उन्हें भी यह लेख भेजे जिस से उन लोगो को भी शलभासन करने का तरीका और फायदे (Locust Pose / Salabhasana Yoga Steps And Benefits in Hindi) के बारे में पता चलेगा।
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