भस्त्रिका प्राणायाम करने का तरीका, फायदे, लाभ और सावधानियां: (Bhastrika Pranayama (Bellows Breath) Steps and Benefits in Hindi): भस्त्रिका प्राणायाम एक उत्कृष्ट श्वास अभ्यास है जो शरीर को स्वस्थ और मन को प्रसन्न रखता है। हृदय और मस्तिष्क के रोगियों के लिए चमत्कारी परिमाण प्राप्त करने के लिए भस्त्रिका प्राणायाम आसन करना लाभकारी होता है।
आयुर्वेद के अनुसार, यह शरीर से कफ को कम करने में मदद करता है। भस्त्रिका एक ऐसा प्राणायाम है जो दिखने में कपालभाती की तरह होता है, लेकिन यह उससे बहुत अलग है।
इस लेख में आप जानेंगे कि भस्त्रिका प्राणायाम क्या है, भस्त्रिका प्राणायाम कैसे करें और भस्त्रिका प्राणायाम के स्वास्थ्य लाभ क्या हैं और भस्त्रिका प्राणायाम करने का सही तरीका क्या है। श्वास), तो बिना समय बर्बाद किए आइए विस्तार से जानते हैं कि भस्त्रिका प्राणायाम कैसे किया जाता है और इससे क्या लाभ होते हैं।
- भस्त्रिका प्राणायाम क्या है? [What is Bhastrika Pranayama (Bellows Breath) in Hindi]:
- बाबा रामदेव द्वारा बताया गया भस्त्रिका प्राणायाम करने का सही तरीका और विधि (Baba Ramdev Bhastrika Pranayama (Bellows Breath) Step By Step Process in Hindi):
- भस्त्रिका प्राणायाम करने का तरीका [How to Do Bhastrika Pranayama (Bellows Breath) Step By Step Procedure in Hindi]:
- भस्त्रिका प्राणायाम करने से पहले यह चीजे ध्यान में रखें (Important Things For Bhastrika Pranayama (Bellows Breath) in Hindi) :
- भस्त्रिका प्राणायाम के फायदे और लाभ [Benefits of Bhastrika Pranayama (Bellows Breath) in Hindi]:
- भस्त्रिका प्राणायाम करने से पहले सावधानी [Bhastrika Pranayama (Bellows Breath) Precautions in Hindi]:
भस्त्रिका प्राणायाम क्या है? [What is Bhastrika Pranayama (Bellows Breath) in Hindi]:
भस्त्रिका प्राणायाम, प्राणायाम (या साँस लेने के व्यायाम) का एक सरल रूप है। प्राणायाम के अभ्यास करने के आसान रूपों में से एक, भस्त्रिका प्राणायाम अपने प्राकृतिक रूप से स्फूर्तिदायक लाभों के लिए लोकप्रिय है।
भस्त्रिका का संस्कृत में मतलब ‘धौंकनी’ होता है। जिस प्रकार एक “लोहार” हवा से ऊष्मा पैदा करता है और लोहे को शुद्ध: करता है, उसी प्रकार यह प्राणायाम भी मन को शुद्ध करता है और प्राणिक बाधाओं को दूर करता है।
यह साँस लेने की तकनीक आपके दिमाग को साफ करने में मदद करेगी और आपको प्राकृतिक और तत्काल ऊर्जा प्रदान करने में मदद करेगी, इसे आप किसी भी समय कर सकते है।
यह प्राणायाम शरीर में प्राण को मजबूती और स्फूर्ति प्रदान करता है। प्राण हम सभी के अंदर प्राण शक्ति है। योगिक परंपरा में, हमारी सांस पूरे शरीर में प्राण ले जाती है।
कम प्राण होने से आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली, ऊर्जा का स्तर और लचीलापन कमजोर हो जाता है। वास्तव में, हम योग का उपयोग प्राण को स्थानांतरित करने और मजबूत करने के लिए एक उपकरण के रूप में करते हैं।
प्राणायाम विशिष्ट श्वास तकनीकों और अभ्यासों के माध्यम से आपकी श्वास के नियंत्रण और नियमन से संबंधित अभ्यास है। इसमें चार भाग होते हैं: साँस लेना, आंतरिक प्रतिधारण, साँस छोड़ना और बाहरी प्रतिधारण। आइये जानते है भस्त्रिका प्राणायाम करने का तरीका और इसके फायदे क्या है।
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बाबा रामदेव द्वारा बताया गया भस्त्रिका प्राणायाम करने का सही तरीका और विधि (Baba Ramdev Bhastrika Pranayama (Bellows Breath) Step By Step Process in Hindi):
भस्त्रिका प्राणायाम करने का तरीका [How to Do Bhastrika Pranayama (Bellows Breath) Step By Step Procedure in Hindi]:
किसी भी आसन को करने के लिए आपको एक अच्छी जगह का चुनाव करना चाहिए जहां आप योग का अभ्यास करने में सहज महसूस करें। अपने आप को सहज महसूस कराना प्रारंभिक योग अवस्था है। तो चलिए अब जानते हैं, भस्त्रिका प्राणायाम प्राणायाम कैसे करें-
- भस्त्रिका प्राणायाम करने के लिए अपनी आँखों को बंद करें और अपनों दोनों हाथो को ज्ञान मुद्रा में रखें।
- कुछ देर ध्यान में बैठें।
- अब दोनों नासिका छिद्रों से गहरी साँस लें।
- यह सुनिश्चित करते हुए कि इस अभ्यास को करते समय आपका मुँह बिल्कुल भी न खुले।
- सांस लेने की प्रक्रिया में, आपके फेफड़ों को पूरी तरह से फुल जाना चाहिए।
- इसके बाद, आपको एक ही झटके में दोनों नासिका से भरी हुई सांस को छोड़ना है।
- साँस लेना और साँस छोड़ने की गति “ब्लोअर” की तरह तेज़ होनी चाहिए और साँस को पूरी तरह से अंदर और बाहर लेना चाहिए।
- फिर से सांस अंदर लें और बलपूर्वक उसे फिर से बाहर निकालें।
- साँस छोड़ने की गति इतनी तेज़ होनी चाहिए कि फेफड़े को झटके के साथ सिकुड़ जाए।
- दोनों नासिका से श्वास लेना इस प्राणायाम का एक पूरा चक्र है, जिसे भस्त्रिका प्राणायाम कहा जाता है।
- कुछ सामान्य सांसें लेकर एक राउंड खत्म होने के बाद थोड़ी देर आराम करें।
- इस प्रक्रिया को कम से कम 3 से 5 राउंड के लिए अवश्य दोहराएं।
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भस्त्रिका प्राणायाम करने से पहले यह चीजे ध्यान में रखें (Important Things For Bhastrika Pranayama (Bellows Breath) in Hindi) :
साँसों को इनहेल और एक्सहेल करने का समय समान रखना चाहिए। भस्त्रिका प्राणायाम करते समय, ढाई सेकंड (2.5 सेकंड) में सांस लेने का समय और साँस छोड़ने का समय भी ढाई सेकंड (2.5 सेकंड) दोनों समान होना चाहिए। इस तरह, यह प्राणायाम एक मिनट में 12 बार किया जा सकता है।
जैसा कि आप भस्त्रिका प्राणायाम करने का तरीका जानकर इसके अभ्यास में प्रगति करते हैं, तब ही इसकी गति को बढ़ाये। इसका अभ्यास तीन अलग-अलग सांस की दरों पर किया जा सकता है जैसे: धीमी (2 सेकंड में 1 साँस), मध्यम (1 सेकंड में 1 साँस) और तेज़ (1 सेकंड में 2 साँस), पारंगत होने के बाद ही आपकी क्षमता के आधार पर गति बढ़ाये।
जब आप यह प्राणायाम करते समय सांस लेते हैं, तो आपका पेट क्षेत्र आपके पेट की बजाय फुदकना चाहिए।
अगर आप योग विशेषज्ञ से योग सिख रहे है तो यह करना आपके लिए बहुत ही आसन होगा। खैर, इस प्राणायाम को शुरुआत में केवल धीरे धीरे ही करें, एवं भस्त्रिका प्राणायाम (Bhastrika Pranayama) का रोज अभ्यास करे।
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भस्त्रिका प्राणायाम के फायदे और लाभ [Benefits of Bhastrika Pranayama (Bellows Breath) in Hindi]:
यहां निचे हमने भस्त्रिका प्राणायाम (Bellows Breath) को करने के फायदे और लाभ को विस्तार में बताया है, जिन्हें आपको जानना चाहिये। तो आइए जानते हैं, भस्त्रिका प्राणायाम के क्या फायदे हैं।
1. फेफड़ों के लिए फायदेमंद
यह फेफड़ों के लिए एक अच्छा साँस लेने का व्यायाम है। यह फेफड़ों को स्वस्थ बनाता है और उनकी कार्य करने की क्षमता को बढ़ाता है। यह श्वसन प्रणाली को भी प्रभावित करता है और फेफड़ों से संबंधित सभी समस्याओं का इलाज करता है।
2. रक्त शुद्ध करता है
भस्त्रिका प्राणायाम में जब हम जोर से सांस लेते हैं तो फेफड़ों में बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन पहुँचती है, जो खून को शुद्ध करती है। यह शरीर को स्वस्थ बनाने के लिए वात (वायु या आत्मा), पित्त और कफ को संतुलित करता है।
3. एकाग्रता में सुधार
हमारे शरीर का मध्य भाग हमारा मस्तिष्क है। भस्त्रिका प्राणायाम दिमाग को स्वस्थ रखता है और उसे एकाग्र करने में मदद करता है जिससे हम कुछ भी ठीक से कर पाते हैं। यह प्राणायाम कुंडलिनी जागरण में मदद करता है।
4. मस्तिष्क रोगों के लिए अच्छा है
यह हमारा दिमाग ही है जो हमें सोचने की क्षमता देता है, इसलिए इसे स्वस्थ रहने की जरूरत है। भस्त्रिका मस्तिष्क के विभिन्न रोगों जैसे अवसाद, माइग्रेन, पार्किंसन रोग, लकवा आदि के इलाज का एक उत्तम तरीका है।
5. विभिन्न प्रकार के रोगों से बचने में लाभकारी
भस्त्रिका प्राणायाम हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करता है। यह आसन शरीर में गर्मी पैदा करता है, जिससे सर्दी, फ्लू, साइनस, अस्थमा पूरी तरह ठीक हो जाता है। थायराइड, टॉन्सिल और ये सभी गले की समस्याओं को दूर करने में मदद करते हैं। भस्त्रिका प्राणायाम के नियमित अभ्यास से हृदय संबंधी रोग एनजाइना, धमनी रुकावट आदि को भी ठीक किया जा सकता है।
भस्त्रिका प्राणायाम के कुछ अन्य लाभ-
- हठप्रदीपिका के अनुसार, यह प्राणायाम, पित्त और बलगम की अधिकता के कारण होने वाले रोगों को ठीक करने में मदद करता है।
- यह आसन सर्दी के मौसम में जरूर करना चाहिए, जिससे शरीर में गर्मी पैदा होती है।
- यह सामान्य स्वास्थ्य में सुधार करता है और सभी अंगों को सक्रिय करता है।
- प्रातः काल प्राणायाम करने से प्राकृतिक रूप से दमकती त्वचा पाने में मदद मिलती है।
- यह प्राणायाम आपके दिन भर के डिप्रेशन को दूर करने में भी आपकी मदद कर सकता है।
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भस्त्रिका प्राणायाम करने से पहले सावधानी [Bhastrika Pranayama (Bellows Breath) Precautions in Hindi]:
भस्त्रिका प्राणायाम (Bellows Breath / Bhastrika Pranayama) करने से पहले आपको निचे दर्शायी गयी निम्न बातो को अवश्य ध्यान रखना चाहिए:
- अगर आपकी हाल ही में अपेंडिक्स या कोई अन्य सर्जरी / ऑपरेशन हुआ है, तो किसी भी प्रकार का योग या एक्सरसाइज करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
- यदि आप गर्भवती हैं, तो भस्त्रिका प्राणायाम (Bhastrika Pranayama) का अभ्यास न करें।
- यदि आपकी नाक सर्दी की वजह से रुकी हुई है तो इसका अभ्यास न करें।
- जिन लोगो में अनियंत्रित उच्च रक्तचाप, मिर्गी, दौरे और दिल की गंभीर समस्या आदि जैसी समस्याएं हैं तो उन्हें भस्त्रिका प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
- तीव्र बुखार और दमा/अस्थमा होने पर इस प्राणायाम को न करे।
- इस प्राणायाम को कभी भी खाली पेट करें नहीं तो यह पेट में दर्द का कारण बन सकता है।
- खाने के कम से कम दो घंटे बाद प्रतीक्षा करें और फिर ही इस प्राणायाम का अभ्यास करे।
- भस्त्रिका प्राणायाम (Bhastrika Pranayama) एक ऊर्जावान अभ्यास है, इसलिए इसे सोने के समय करने से बचने की कोशिश करें, नहीं तो आपको सोने में मुश्किल आ सकती है।
- इस प्राणायाम को करते समय, अगर आपको चक्कर आना, मतली, घबराहट या बेचैनी जैसे लक्षण दिखाई दे तो इसे करना तुरंत बंद कर दे।
- शुरुआती लोगों को इस प्राणायाम का अभ्यास धीरे-धीरे करना चाहिए।
- गर्मी के मौसम में भस्त्रिका के अधिकतम 2 मिनट के अभ्यास से अधिक न करें।
- यह प्राणायाम करने से पहले नाक को अच्छी तरह से साफ कर लें।
आशा है इन सभी गुणों को जान ने के बाद आपको कभी यह नहीं बोलना पड़ेगा की भस्त्रिका प्राणायाम करने का तरीका और फायदे (Bhastrika Pranayama (Bellows Breath) Steps And Benefits in Hindi) क्या होते है।
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उम्मीद है आपको हमारा यह लेख भस्त्रिका प्राणायाम करने का तरीका और फायदे (Bhastrika Pranayama (Bellows Breath) Steps And Benefits in Hindi) पसंद आया होगा ,अगर आपको भी भस्त्रिका प्राणायाम कैसे करे और इसके फायदे (Bhastrika Pranayama (Bellows Breath) Steps And Benefits in Hindi) के बारे में पता है तो आप हमे कमेंट बॉक्स में लिख कर जरूर बताये।
और अगर आपके घर परिवार में भी कोई भस्त्रिका प्राणायाम करने का सही तरीका और फायदे (Bhastrika Pranayama (Bellows Breath) Steps And Benefits in Hindi) के बारे में जानना चाहते है तो आप उन्हें भी यह लेख भेजे जिस से उन लोगो को भी भस्त्रिका प्राणायाम करने का तरीका और फायदे (Bhastrika Pranayama (Bellows Breath) Steps And Benefits in Hindi) के बारे में पता चलेगा।
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